सूर्य नमस्कार योगा: जानें इसके 12 आवश्यक आसन

सूर्य नमस्कार योगा एक प्राचीन योग विधि है। सूर्य नमस्कार, जिसका अर्थ शाब्दिक रूप से है “सूर्य को नमस्कार करना”, बारह प्रभावी योग आसनों का समूह है। यह, दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा स्रोत, सूर्य को सम्मान देने का अभ्यास है।

योग को सदियों से सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। योग ने गंभीर बीमारियों पर भी अच्छा प्रभाव डाला है। इसलिए योग न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है। 21 जून को हर साल योग के लाभों को बढ़ावा देने के लिए योग दिवस मनाया जाता है।

शरीर के हर अंग को योग से लाभ मिलता है। विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए अलग-अलग योगासनों का अभ्यास किया जाता है। सूर्य नमस्कार योगा में कई योगासन शामिल हैं, और इसे नियमित रूप से करने से आपको कई लाभ मिलते हैं।

सूर्य नमस्कार योगा कब करना चाहिए और इसके लाभ

सूर्य नमस्कार योगा अभ्यास करने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय है। इस समय वातावरण शुद्ध और ताजा है, जो अभ्यास के लिए अच्छा है। सूर्य को खाली पेट नमस्कार करना सबसे अच्छा है। यदि सुबह अभ्यास करना संभव नहीं है, तो शाम को सूर्यास्त के समय भी अभ्यास कर सकते हैं, लेकिन खाने के चार से छह घंटे बाद।

लाभ

सूर्य नमस्कार योगा से कई लाभ मिलते हैं:

  1. शारीरिक स्वास्थ्य: यह पूरे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करता है, उन्हें लचीले बनाता है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है।
  2. मानसिक स्वास्थ्य: रेगुलर एक्सरसाइज  आपको शांति, एकाग्रता और तनाव कम करता है।
  3. हृदय की सुरक्षा: हृदय की क्षमता में सुधार, रक्त परिसंचरण में सुधार और हृदय रोगों का खतरा कम होता है।
  4. वजन कम करना: सूर्यनमस्कार कैलोरी बर्न करने और वजन कम करने में मदद करता है।
  5. आत्मरक्षा: नियमित अभ्यास आत्म-संयम और अनुशासन को बढ़ाता है, जो जीवनशैली को बेहतर बनाता है।
  6. श्वांस प्रणाली के लिए फायदेमंद: सूर्य नमस्कार के दौरान गहरी और लंबी सांसें लेना श्वांस प्रणाली के लिए अच्छा है क्योंकि यह फेफड़ों को मजबूत करता है और उनकी क्षमता बढ़ाता है।
  7. बॉडी डिटॉक्स करता है: सूर्य नमस्कार लिवर और किडनी को लाभ पहुंचाता है, क्योंकि वे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं। शरीर के टॉक्सिन्स भी पसीने के माध्यम से बाहर निकलते हैं।
  8. पाचन के लिए फायदेमंद: यह पाचन के लिए अच्छा है क्योंकि यह आंतों को सुधारता है और अपच और कब्ज की समस्याओं को कम करता है। कुछ आसन पाचन को सुधारते हैं।
  9. बेहतर ब्लड सर्कुलेशन: सूर्यनमस्कार से रक्त प्रवाह में सुधार होता है क्योंकि शरीर स्ट्रेच होता है। दिल को लाभ मिलता है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।

इसलिए, सूर्य नमस्कार योगा को अपने दैनिक जीवन में शामिल करना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

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सूर्य नमस्कार योगा के 12 चरण

सूर्य को पूरी धरती की ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है, इसलिए सूर्य नमस्कार का अर्थ है सूरज को प्रणाम करना। इसमें 12 अलग-अलग योगासनों का पालन किया जाता है, जिनके नाम हैं-

12 आसनों के नाम

  1. प्रणामासन
  2. हस्तउत्तनासन
  3. पादहस्तासन
  4. अश्व संचालनासन
  5. दंडासन
  6. अष्टांग नमस्कार
  7. भुजंगासन
  8. अधोमुख शवासन
  9. अश्व संचालासन
  10. पादहस्तासन
  11. हस्तउत्तनासन
  12. प्रणामासन

विधि

प्रणामासन

प्रणामासन एक खड़ी मुद्रा है जिसमें आप अपने पैरों को एक सीध में रखते हैं। गहरी सांस लेते हुए अपने कंधों को आराम दें और छाती को फैलाएं; फिर अपने हाथों को बगल में उठाएं। धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी हथेलियों को छाती के सामने रखें। यह जीवन के लिए धन्यवाद व्यक्त करने का एक आसान तरीका है।

हस्तउत्तनासन

जब आप गहरी सांस लेते हैं, अपनी हथेलियों को एक साथ जोड़ते हुए अपने हाथों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। थोड़ा आराम करने के लिए अपनी पीठ को झुकाएं और कानों को बाइसेप्स के पास रखें।

पादहस्तासन

धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को मोड़ते समय रीढ़ को सीधा रखें। पादहस्तासन पाचन को सुधारने और मन को संतुलित करने में मदद करता है।

अश्व संचालनासन

अपने शरीर को फर्श के समानांतर रखें और गहरी सांस लेते हुए अपनी भुजाओं को फैलाएं। धीरे-धीरे अपनी पीठ को ऊपर की ओर देखते हुए अपने दाहिने घुटने को छाती के दाईं ओर लाएं। अपने बाएं पैर को पीछे की ओर फैलाएं भी। इस मुद्रा को बनाने से आप अपने आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाते हैं।

दंडासन

शरीर को जमीन के साथ रखते हुए सांस लेते हुए दाएं पैर को पीछे की ओर खींचें और इसे बाएं पैर के साथ अलाइन करें। यह मुद्रा तनाव को कम करने में सहायक है।

अष्टांग नमस्कार

गहरी सांस लेकर अपने घुटनों को जमीन की ओर ले जाएं। अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर अपनी ठुड्डी को जमीन पर टिकाएं, पीठ में हल्का आर्क रखें। यह मुद्रा आपकी चेतना बढ़ाती है।

भुजंगासन

इसे कोबरा मुद्रा भी कहते हैं। अपने धड़ और छाती को जमीन से उठाकर हाथों से शरीर को सहारा दें, पैर और मध्य भाग सपाट रहें।मुँह को ऊपर की तरफ उठायें। ध्यान रखें कि बाजुओं पर पूरा भार न डालें। इस आसन को करने से आप शक्ति महसूस करेंगे।

अधोमुख शवासन

इस मुद्रा में अपने पैरों और हाथों को जमीन पर रखकर एक उल्टा “V” आकार बनाएं। हाथों को कंधों की चौड़ाई पर रखें और पैरों को हिप की चौड़ाई पर रखें। उंगलियों को फैलाकर एड़ियों को जमीन पर दबाएं। रीढ़ को सीधा रखते हुए कूल्हों को ऊपर की ओर उठाएं, सिर को भुजाओं के बीच रखें। यह मुद्रा रीढ़ को मजबूत करता है और रक्त संचार को बढ़ाता है।

अश्व संचालासन

अश्व संचालानासन में, एक पैर आगे और दूसरा पीछे रखते हुए पीठ सीधी रखें। यह मुद्रा आपके आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है, आपके शरीर को मजबूत करता है और आपके संतुलन को बेहतर बनाता है।

पादहस्तासन

सीधे खड़े होकर, सांस छोड़ते हुए कमर से आगे की ओर झुकें, हाथों को पैरों के नीचे रखें और पदहस्तासन में रहें। यह आसन रीढ़ को लचीला बनाता है, पाचन को बेहतर बनाता है और तनाव को कम करता है।

हस्तउत्तनासन

हस्तोत्तानासन में हाथों को ऊपर उठाकर गहरी सांस लें. फिर धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें। यह आसन छाती को खोलता है, रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है और सांस लेने की क्षमता को सुधारता है।

प्रणामासन

नमस्कार मुद्रा बनाए रखते हुए आराम से सांस छोड़ें। चक्र इस तरह समाप्त होता है, आपकी सारी ऊर्जा के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हुए।

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अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न (FAQ)

  1. सूर्य नमस्कार में कितने आसन हैं?
    सूर्य नमस्कार में बारह योग आसन हैं, जो कूदने या खींचने से जुड़े हैं।
  2. 1 दिन में कितने बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए?
    इससे सुबह की शुरुआत करने से आप कई रोगों से बच सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। 5 से 10 मिनट तक सूर्य नमस्कार करना पर्याप्त है। सूर्य के सामने इसका अधिक लाभ होता है। सूर्य नमस्कार को हर दिन पांच से बारह बार करने पर कोई अतिरिक्त आसन करने की आवश्यकता नहीं रहती।
  3. सूर्य नमस्कार योगा किसे नहीं करना चाहिए? हर्निया से पीड़ित लोगों को सूर्यनमस्कार योगा नहीं करना चाहिए। इस योग को नहीं करना चाहिए अगर आपको कलाई में गंभीर चोट लगी है। सूर्य नमस्कार अभ्यास गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे पीठ और पेट पर दबाव पड़ता है, जो मां और भ्रूण दोनों को नुकसान पहुंचाता है।
  4. सूर्य नमस्कार की उत्पत्ति कौन की है?
    सूर्य नमस्कार क्रम का वर्णन करने वाला सबसे पुराना योग ग्रंथ, योग मकरंद, 1934 में टी. कृष्णमाचार्य द्वारा लिखा गया था, जिसे कई लोग आज के हठ योग का जनक मानते हैं।
  5. सूर्य नमस्कार करने का सर्वश्रेष्ठ समय कौन सा है?
    सूर्य को नमस्कार करने का सबसे अच्छा समय है सुबह चार बजे से छह बजे तक। क्योंकि सूर्य के संपर्क में आने से हमारे शरीर के सारे चक्र एक्टिव हो जाते हैं, जिससे पूरे शरीर को सूर्य की कृपा से लाभ मिलता है। तो, अगर आप भी सूर्यनमस्कार करना चाहते हैं, तो सुबह इस समय उठना चाहिए।

निष्कर्ष

सूर्यनमस्कार योगा के बारह महत्वपूर्ण आसनों का विश्लेषण इस ब्लॉग पोस्ट में किया गया है। सूर्यनमस्कार, एक प्राचीन और कारगर अभ्यास, आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

नियमित अभ्यास से ताकत, लचीलापन और संतुलन में सुधार होता है। यह भी आत्म-संयम और मानसिक शांति को बढ़ाता है। इसे अपनी दैनिक जीवन में शामिल करें और एक स्वस्थ जीवन जीने का आनंद लें।

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